जयपुर, 01 अक्टूबर। 13 सितम्बर, 2021 को केन्द्र सरकार के अमले ने गुजरात के मुन्द्रा बन्दरगाह पर आशीष ट्रेडिंग कम्पनी द्वारा आयोजित सिलिका टेलकम पाउडर जो अफगानिस्तान ने ईरान होते हुए गुजरात आयात किया था कि जाँच करी तो उसमें लगभग 3000 किलो हेराईन ड्रग्स पाया गया जिसकी बाजार में कीमत 21 हजार करोड़ रुपये है। जब तहकीकात की गई तो जानकारी में आया कि 9 जून, 2021 को इसी कम्पनी के नाम से 25 हजार किलो टेलकम पाउडर भी अफगानिस्तान की एम.एफ. हसन लिमिटेड के द्वारा भेजा गया गुजरात में उतरा था तथा इस माल का आज कहीं अता-पता नहीं है एवं इसकी बाजार में कीमत 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। इतने बड़े ड्रग्स का व्यापार हो रहा है कि 1 लाख करोड़ कीमत की शिपमेंट देश में आ रहे है जिससे आशंका है कि हमारे देश में 5 लाख से 10 लाख करोड़ तक का ड्रग्स का व्यापार होना प्रतीत होता है। उक्त विचार अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा सांसद श्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में 200 से 300 ग्राम ड्रग्स बरामद होने पर 10-10 दिन तक मीडिया में चर्चा रही है, लोगों पर केस बना और जेल भेजा गया किन्तु जो तवज्जों बॉलीवुड में 200 से 300 ग्राम ड्रग्स मिलने पर दी गई उतना महत्व 3000 किलो और 25 हजार किलो ड्रग्स मिलने पर मीडिया ने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आज तक आशीष ट्रेडिंग कम्पनी जिसके नम्बर के अनुसार कार्यालय का पता विजयवाड़ा है पर कार्यवाही नहीं की गई जबकि चैन्ने में रहने वाले पति-पत्नि जिन्हें उक्त शिपमेंट बाबत् मात्र 4 लाख रुपये का कमीशन मिला था जिनका नाम सुधाकर एवं श्रीमती गोविन्द राजू वैशाली है के विरूद्ध ही कार्यवाही की गई। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े प्रकरणों में जाँच करने वाले ईडी, सीबीआई, एनआईए, आईटी जैसे विभागों के रहते ड्रग्स का इतना बड़ा व्यवसाय कैसे हो रहा है? यह जाँच का विषय है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में यह प्रथा चल गई है कि अपने प्रतिद्वदियों के विरूद्ध ईडी, आईटी, सीबीआई के झूठे छापे डालो, उनको परेशान करो और यदि भाजपा में शामिल हो जाए तो केस समाप्त कर दिया जाता है, यही भाजपा सरकार एवं मोदी-शाह के काम करने का तरीका है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासन के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेता व परिजन 13 प्रकरणों में ड्रग्स के मामलों में लिप्त पाये गए, किन्तु भारतीय जनता पार्टी से मीडिया द्वारा इस बाबत् कभी प्रश्न नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हिन्दू-मुसलमान, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान, अफगानिस्तान-तालिबान के मुद्दों पर बहस होती है। क्या मीडिया में ड्रग्स के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक खतरनाक मसला है। ड्रग्स से देश के नौजवानों को बिगाड़ा जा रहा है, इसलिए ड्रग्स के मुद्दे पर राष्ट्रहित में बहस होनी चाहिए तथा मीडिया में इस मुद्दे को महत्वपूर्ण स्थान मिलना चाहिए ताकि जो लोग ड्रग्स के इस घिनौने व्यवसाय में लिप्त है उन्हें सामने लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के जिन 13 नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के विरूद्ध ड्रग्स के मामलों में लिप्त होने के आरोप लगे है उनके विरूद्ध एनडीपीएस एक्ट में केन्द्र सरकार ने क्या कार्यवाही की है इसकी जानकारी देश को दें। उन्होंने कहा कि एनडीपीएस एक्ट में साधारणतया जमानत भी नहीं होती है यह सर्वविदित है। उन्होंने कहा कि मुन्द्रा पोर्ट पर 21 हजार करोड़ रुपये की जो हेरोईन पकड़ी गई है उसकी जाँच केन्द्र सरकार द्वारा नेशनल इन्वेस्टिेगेशन एजेन्सी को सौंपी गई है जबकि इस एजेन्सी के द्वारा भारतीय जनता पार्टी से संबंधित आरोपियों को बरी करवाने का इतिहास है। उन्होंने कहा कि प्रोसीक्यूशन का उद्देश्य होता है कि आरोपियों को सजा दिलवाई जावें लेकिन एनआईए ने मोदी-शाह के नेतृत्व वाली सरकार के अन्र्तगत भारतीय जनता पार्टी से संबंद्ध उन आरोपियों को जिन पर आतंकवाद की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे जिसमें अजमेर दरगाह बॉम्ब ब्लास्ट, मालेगांव में हुए दो बॉम्ब ब्लास्ट, मक्का मस्जिद हैदराबाद में हुए बॉम्ब ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस में हुए बॉम्ब ब्लास्ट के आरोप शामिल है को दोषमुक्त करवाने का कार्य किया है जिस कारण देश को एनआईए पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा प्रकरणों में वहीं वकील लगाये जाते हैं जो अपराधियों को दोष सिद्ध करने की बजाय दोषमुक्त करवाने हेतु बहस करते है इसके प्रमाण पूर्व में ही सामने आ चुके है।
उन्होंने कहा कि देश में 1 लाख 75 हजार करोड़ तथा 21 हजार करोड़ लगभग 2 लाख करोड़ की ड्रग्स की खेप पकड़ी गई है जो कि एक गम्भीर मामला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री से माँग करती है कि इस मामलें की जाँच एनआईए को सौंपी जाने की बजाय सुप्रीम कोर्ट के जज के अधीन करवायी जाए। उन्होंने कहा कि जाँच हेतु सुप्रीम कोर्ट के जज का चुनाव उस कमेटी द्वारा दिया जावे जिसमें लीडर ऑफ अपोजिशन, चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया केन्द्र सरकार के साथ शामिल होते है। उन्होंने कहा कि इस गम्भीर प्रकरण की जाँच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय के रिटायर्ड जज द्वारा ही होनी चाहिए क्योंकि एनआईए पर अब देश को भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के व्यापारी छोटे-छोटे बच्चों व गरीब मजदूरों को ड्रग्स की लत लगाकर अपना शिकार बनाते है उनका जीवन बर्बाद कर देते है। इस लत के कारण रोटी के पैसे ना होने के बावजूद लत के चलते पीडि़त ड्रग्स हासिल करने के लिए प्रयास करते है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के मुद्दे को गम्भीरता से लिया जाना आवश्यक है तथा केन्द्र सरकार, प्रधानमंत्री मोदी तथा आरएसएस देश की जनता की भलाई चाहते है तो देश को ड्रग्स मुक्त बनाने हेतु कार्य करें, इसके लिए अफगानिस्तान, ईरान तथा पाकिस्तान के रास्ते देश में आने वाले मादक पदार्थों की रोकथाम के उपाय उसी मुस्तैदी के साथ किए जाए जिस मुस्तैदी से आतंकवादियों एवं घुसपैठियों को रोकने हेतु कार्य किया जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि नोटबंदी के माध्यम से भ्रष्टाचार, आतंकवाद तथा नकली नोट समाप्त हो जाएंगे तथा देश में डिजीटल करेंसी का चलन बढ़ेगा, जिस वक्त नोटबंदी हुई 17.8 लाख करोड़ नकदी बाजार में प्रचलित थी किन्तु प्रश्न यह है कि यदि भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए नोटबंदी की गई थी तो देश में नकदी घटनी चाहिए थी जबकि नोटबंदी के पाँच साल बाद 17.8 लाख करोड़ की बजाय आरबीआई के आंकड़ों के आधार पर 26.7 लाख करोड़ की नकदी बाजार में प्रचलित है। देश में डिजीटल करेंसी का प्रचलन बढऩे के बजाय नकद की तरलता बढ़ गई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देश में बड़े पैमाने पर नकली नोट बाजार में प्रचलन में है जिसकी जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी जी कहते थे कि ना खाऊँगा, ना खाने दूंगा किन्तु पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने सही कहा था कि नोटबंदी भारत में इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के समय भाजपा के गुजरात से विधायक डॉ. ओझा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को पत्र लिख कर चेताया था कि गुजरात में अमित शाह के लोग एक करोड़ रुपये के पुराने नोट लेकर 67 लाख नए नोट दे रहे है यह लिखित पत्र उन्होंने प्रधानमंत्री जी को भेजा था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई बल्कि यह जानकारी मिली कि नोटबंदी के पश्चात् नए नोट सबसे ज्यादा गुजरात के कॉ-ऑपरेटिव बैंकों को दिए गए थे तथा इन बैंकों में अधिकतर पर अमित शाह से संबंद्ध लोग ही काबिज है। इस प्रकरण की पूरी जाँच होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि सन् 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि विदेशियों से काला धन वापस लाएंगे। इस हेतु सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में विशेष जाँच दल बनाया गया लेकिन 7 वर्षों बाद भी इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आयी है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी द्वारा गठित विशेष जाँच दल ने कोई रिपोर्ट ही प्रस्तुत नहीं की है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में राफेल विमान सौदे में नियम और प्रक्रिया की पालना नहीं की गई और ना ही स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर की पालना की गई है। इस सौदे के लिए केबिनेट कमेटी ऑफ डिफेंस पर्चेज की बैठक तक नहीं बुलायी गयी तथा जिस राशि में यूपीए की सरकार ने 126 विमान खरीदने का सौदा किया था उस राशि में केवल 36 विमान खरीदे गए तथा हिन्दुस्तान एयरोनोटिकल लिमिटेड जिसके द्वारा देश में ही विमानों का निर्माण होना था, का करार रद्द कर निजी हाथों में सौंपने का कार्य मोदी सरकार ने किया, जो देश के हितों के विपरीत है।
इस अवसर पर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोगी उद्योगपति अडानी के नियंत्रण वाले बंदरगाह से हजारों करोड़ की ड्रग्स देश के कोने-कोने में भेज दी गई और इस गम्भीर मुद्दे पर केन्द्र सरकार द्वारा आज तक कोई अपेक्षित कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा की केन्द्र सरकार की अकर्मण्यता के कारण देश के नौजवान ड्रग्स लेने जैसी बुरी आदतों के शिकार हो रहे है तथा भारतीय जनता पार्टी को देश के युवाओं एवं उनके भविष्य को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स की बरामदगी के मुद्दे को गम्भीरता से लेकर केन्द्र सरकार को ड्रग्स के व्यापार से निपटने हेतु रूपरेखा तैयार कर दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए