बता दें कि लाख की तो इसका चलन आज से नही बल्कि महाभारत काल में भी इसके होने की बात कही गयी है । लाख के बारे में कहा जाता है कि कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए जिस महल का निमार्ण कराया था। दरअसल वह ‘लाख’ का बना हुआ था। पर सौभाग्य से पांडव किसी तरह से बच निकले। लाह संस्कृत के “लाक्षा” शब्द से बना है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आइन-ए-अकबरी में भी लाख से बनी वस्तुओं के बारे में बताया गया है। उस समय इनका उपयोग चीजों को रंगनें में किया जाता था। लाख के कीट अपने शरीर से लाख का निर्माण करते हैं और उस लाख का इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकतानुसार करते हैं। इसके अलावा नई दुल्हन का लाख से बने चुड़े पहनना शुभ माना जाता है। इसे सुहाग की निशानी के तौर पर मान्यता है। जिस वजह से लाख की हमेशा मांग बनी रहती है।
अगर बात की जाए जयपुर में लाख के करोबार की तो इसका इतिहास कई दशकों पुराना है। नियाज मोहम्मद से बातचीत के दौरान मालूम चला कि उनकी पुश्तों को ईराक से लाकर जयपुर में बसाया गया था। उनके अनुसार किसी समय राजस्थान के राजा ईराक गए और वहाॅं उन लोगों का काम देखकर प्रभावित हुए। लाख का काम उस समय के राजा जो इतना पसंद आया कि वो लाख के कारीगरों को अपने साथ भारत ले आए। उन्होंने बताया कि हम लोगों को सबसे पहले आमेर के पास स्थित ताला गाँव में बसाया गया था। जिसके बाद अम्बेर की तरफ लाया गया जो कि किले के बेहद नजदीक था। जिसके बाद शहर धीरे-धीरे फैलता गया और आज के समय में लाख का पूरा कारोबार छोटी चौपड़ स्थित “मणिहारों का रास्ता” में है। इस बाजार में आपको एक छोर से दूसरे छोर तक सिर्फ लाख की ही दुकानें दिखाई देगी। आपको बता दें कि आज के समय में जयपुर में लगभग 5 हजार से भी ज्यादा कारीगर लाख के काम से जुड़े हुए हैं।
जब नियाज मोहम्मद से असली और नकली लाख के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि एक आम इंसान बिलकुल भी इन दोनों में फर्क नहीं पहचान सकता है। इन्हे सिर्फ एक लाख का कारीगर ही पहचान सकता है। इसके अलावा उन्होने हमें लाख की की चूड़ियों के नाम बताए जो आजकल चलने में है जिनमें अनारकली, पन्नी कड़ा, मेथी का चूड़ा, केरी कड़ा, माशे का कड़ा, पंच बंदया चूड़ा, लहरिया चूड़ा आदि प्रसिद है। आज के फैशन के दौर में इनके रूप में भी बदलाव हो रहे हैं। जिस वजह से आज के समय में आपको हर तरह के डिजाइन आसानी से मिल जाएंगे। युवतियों के अलावा युवकों के लिए भी लाख के कड़े तैयार किए जाते हैं।
इसके अलावा जयपुर का गुलाल गोटा भी विश्व प्रसिद्व है। इसकी खास बात यह है कि इसमें लाख और खालिस अरारोट की गुलाल को काम में लिया जाता है। जिससे होली के समय किसी के भी उपर फैंकने पर किसी तरह की हानि नही पहुँचती है। गुलाल गोटा को बनाने के लिए सबसे पहले लाख को अच्छे से गर्म किया जाता है। जिसके बाद फूंकनी की सहायता से इसे फुलाकर उसके अंदर गुलाल भर बंद कर दिया जात है। अगर आप इसे किसी के उपर फेंकते हो तो लाख की पतली परत टूट जाती है और गुलाल बिखर जाता है। होली के समय में इसका उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आप लाख को कहीं भी काम में ले सकते हो। फिर चाहे वह आपके फाॅन का कवर हो, कैमरा, सीसे का फ्रेम, फोटोफ्रेम, लकड़ी के बक्से, फैन्सी बैग आदि किसी भी चीजों में लाख को लगा सजाया जा सकता है पर यह निर्भर करता है उस लाख के कलाकार पर।
लाख की चूड़ी को रंगते हुए तरह – तरह के लाख की चूड़ियाँ
नियाज मोहम्मद ने हमें एक खास तरह के गले का हार दिखाई। जिसे आपने अपने जीवन में शायद ही कभी देखा होगा। इसे देखने पर आपको अंदाजा लग जाएगा कि नियाज अपने काम में कितने माहिर हैं। उनका कहना है कि इस तरह के गले का हार पुरे जयपुर में सिर्फ वही बना सकते हैं। इसे देख कर लगता है कि इनके जैसे ना जाने और भी कई कलाकार है जिन्हें वाक़ई में एक पहचान की जरूरत है। जिससे वो अपने हुनर को आने वाले कल को दे सके, जिससे दशकों से चली आ रही यह कला बरक़रार रहे।
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