एक आर्टिस्ट, आर्टिस्ट होता है फिर चाहे वह किसी भी फिल्ड से क्यूॅं न जुड़ा हो। उसको किसी से कम नहीं आँकना चाहिए। अगर आप इसमें फर्क करते हो तो आप कला की खूबसूरती को नही पहचानते। कुछ ऐसा ही है लाख का काम करने वाले कलाकारों का। यह काम देखने में बिल्कुल मामूली सा लगता है पर उसे बनाने वाला कलाकार ही उसकी वैल्यू को समझता है। ऐसे में एक कलाकार के लिए अपना घर चलाना कठिनाई भरा हो जाता है। यही बात नियाज मोहम्मद पर भी लागू होती है। महंगाई के चलते घर का गुजारा मुश्किल से ही हो पाता है। एक दौर था जब लाख के कलाकार जयपुर के राजा-महाराजा के खास हुआ करते थे। धीरे-धीरे हालात बदल गए और कला की जगह रूपयों ने ले लिया। इस वजह से लाख के कलाकार गलियों तक ही सिमट कर रह गए और धनी लोग अपने जेबें भरने लगे।
यह तो शुक्र है नियाज मोहम्मद के काम की कद्र यहाँ की सरकार को तो नही बल्कि जयपुर आने वाले विदेशी सैलानियाॅं को तो है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उनसे लाख के काम को सीखने के लिए विदेशों से छात्र उनके पास आते हैं और अपना पूरा समय इस काम को सीखने में लगाते हैं। इसके अलावा कई तरह के प्राॅजेक्ट के लिए भी विदेशी छात्र उनसे सीखने के लिए भारत आते हैं। जिससे थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है पर इस आमदनी का कहना मुश्किल है कि यह आज है तो कल नही। ऐसे में उन्हें मदद चाहिए सरकार की जो उन जैसे अच्छा काम करने वाले कलाकारों को पनाह दे। जिससे वे अपनी कला को दुनिया के कोने-कोने तक पहुॅचा सके। जिससे उनका ही नही देश और राज्य का भी सम्मान बढ़ेगा।
इसके लिए हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह नियाज जैसे कलाकारों के प्रति अपना ध्यान स्पष्ट करें। ऐसे कलाकार ही राजस्थान के संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। राजस्थान के किसी भी कौने पर या फिर राजस्थान की तरफ से ऐसे लोगों को बुलाया जाना चाहिए जो अपनी हुनुर को लोगों तक पहुॅचा सके। पर हर तरफ भ्र्ष्टाचार के चलते ऐसे लोगों को अवसर नही मिल पाता है।
अक्सर ऐसा देखा जाता है कि राजस्थान सरकार यहाॅ की संस्कृति को बढ़ाचढ़ा कर तो दिखा देती है पर इन सब में उन कलाकारों को पीछे भूल जाती है। राजस्थान की संस्कृति के लिए काम कर रहे डिपार्टमेंट ऑफ़ टूरिज्म को आगे आना चाहिए और कलाकारों की समृद्धि के लिए काम करना चाहिए। जिस तरह से आर्टिस्ट कार्ड में धांधली चल रही है उन पर नकेल कसनी चाहिए और इसमें शामिल लोगों को दण्ड दिया जाना चाहिए। चंद पैसों के लिए किसी की कला से खिलवाड़ करना, क्या यही है हमारा समाज? एक तरफ सरकार कहती है कि कलाकारों को मंच दिया जाना चाहिए। वहीं काम करने वाले अफ़्सर उन्हीं कलाकारों से रूपए की मांग रखते हैं वो भी लाखों मे। उन्हें समझना चाहिए है कि अगर इतना ही धन उनके पास होता तो वो कलाकार खुद से अपनी जगह बना लेते।
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